लम्हें खता करते हैं… तो सदियाँ सजा भुगतती है…

राजस्थान का शिक्षा विभाग जो सम्भवत:सबसे अधिक कार्मिकों वाले संस्थापन का विभाग है, उसकी जो स्थिति इन दिनों देखने में आ रही है वह आश्चर्यचकित कर देने वाली है I यह मान के चलना चाहिए कि राजस्थान सरकार का सबसे बड़ा महकमा जिसमें सर्वाधिक राजपत्रित अधिकारी हैं, सर्वाधिक वरिष्ठ अधिकारी हैं, सर्वाधिक कनिष्ठ अधिकारी हैं, मंत्रालयिक कर्मचारी हैं, अध्यापक है, लेक्चरर हैं] प्रोफेसर है, बाबू है, प्रशासनिक अधिकारी है, शिक्षा परिषद का डिपार्टमेंट है, समग्र शिक्षा है, स्कूल शिक्षा परिषद है, इन सब लाखों लोगों का जो संस्थापन डील करता है वह हमारा प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग हैI

लेकिन राजस्थान सरकार ने इस को सबसे निचले पायदान पर रखा हुआ है राजस्थान सरकार की प्राथमिकता समस्त विभागों के लिए हो सकती है लेकिन इस शिक्षा विभाग के लिए राजस्थान सरकार की प्राथमिकताएं सबसे निचले स्तर पर है प्रत्येक ग्राम पंचायत, गांव-गांव, ढाणी विद्यालय खोलकर के भवनों की व्यवस्था करके और इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के नाम पर और मानव संसाधन सृजित करने के नाम पर सरकार जिस कद्र फेल हुई है उसका उदाहरण अन्यत्र कहीं मिलना मुश्किल है I सरकार के शिक्षा विभाग में एक-एक विद्यालय में कम से कम 10 से अधिक तो राजपत्रित अधिकारी हैं ऐसे में विद्यालयों के लिए कोई कार्य योजना नहीं है स्थानांतरण करने के लिए कोई पॉलिसी नहीं हैI शिक्षा विभाग का जो महकमा है, उसमें जो विद्यालय है, प्रशासनिक व्यवस्थाएं हैं और जितने भी राजस्थान शिक्षा प्रारंभिक शिक्षा परिषद है, समग्र शिक्षा अभियान है, जितने भी चुनिंदा कार्यालय है, उनमें हजारों राजपत्रित अधिकारियों का संस्थापन काम करता हैI

जहां भारत की सुप्रीम भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बैठते हैं और एक नहीं कई-कई बैठते हैंI वहां जो सरकार के समस्त कार्यालय है उनका नियंत्रण हमारे आई.ए.एस. अधिकारियों के हाथों में होना चाहिए क्योंकि समूचा संस्थापन ये अधिकारी अपने विवेक के द्वारा स्थापित करते हैं, जैसे रक्षा मंत्रालय हैं, विदेश मंत्रालय हो चाहे वह गृह मंत्रालय हो चाहे कोई भी डिपार्टमेंट हो सब में हमारी प्रशासनिक अधिकारी ही अपने हिसाब से नियंत्रण करके व्यवस्थाओं का संचालन करते हैंI लेकिन शिक्षा विभागीय देखिए… यह राजस्थान में ही हो सकता है कि यहां की शिक्षा विभाग में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को कुछ अधिकार नहीं है इस अनुभाग को कैसे चलाना है कौनसा काम कैसे संचालित करना है कैसे हमारे विद्यार्थियों को शिक्षित करना है या हमारे संसाधनों की आपूर्ति करनी है, यह सब हमारे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के ही जिम्मे है जबकि मंत्री वर्ग के लोग जो राजनेता वर्ग के लोग हैं जिनका कहीं भी शिक्षा में ज्ञान तक नहीं हैI जिनकी सोच ही नहीं है, वो लोग बड़े से बड़े अधिकारी हैं, उनको उठाते रहते हैं फुटबॉल की तरह, आज यहां… कल वहां… आज किसी को किसी विद्यालय भेज देते हैं, किसी को कहीं भेज देते हैंI जिससे मानसिक रूप से हमारे अध्यापक नहीं सम्भाल सकते तो व्यवस्था में पारदर्शिता क्या ला पाएंगेI

बेबाक उवाच यह है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजस्थान के सबसे बड़े शिक्षा विभाग में अपनी दखल प्रस्तुत करनी चाहिएI तथाकथित जो राजनेता है जो कुछ भी नहीं समझते हैं वह अध्यापकों को इधर से उधर करके योजनाओं को बना रहे हैं आने वाले समय के लिए हैं और वह दिन दूर नहीं जब लोग यह कहेंगे जब लम्हे खता करते हैं… तो सदियों को सजा भुगतनी पड़ती है…. @ बेबाक उवाच 

Pratap Singh
Author: Pratap Singh

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